शिमला को मिलेगा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे, ₹1,734 करोड़ की परियोजना से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

शिमला को मिलेगा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे, ₹1,734 करोड़ की परियोजना
शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को जल्द ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे मिलने जा रहा है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना करीब ₹1,734 करोड़ की लागत से तैयार की जाएगी, जिससे न केवल शहर के यातायात को सुगम बनाया जाएगा बल्कि पर्यटन को भी एक नई ऊंचाई मिलेगी।
हिमाचल सरकार और निजी कंपनियों के संयुक्त प्रयास से बनने वाला यह रोपवे, शिमला की खूबसूरत वादियों में सफर करने वाले पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव साबित होगा। इसके अलावा, यह परियोजना शिमला में ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करने में भी मदद करेगी, जो कि खासतौर पर पर्यटकों के चरम मौसम में गंभीर रूप ले लेती है।
रोपवे परियोजना की प्रमुख विशेषताएं
- दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे – यह परियोजना आकार और तकनीक के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी रोपवे परियोजनाओं में शामिल होगी।
- ₹1,734 करोड़ की लागत – इस मेगा-प्रोजेक्ट के लिए भारी निवेश किया जा रहा है, जो इसे भारत की सबसे महंगी रोपवे परियोजनाओं में से एक बनाता है।
- यात्रा में समय की बचत – शिमला के प्रमुख स्थानों को जोड़ने वाले इस रोपवे से यात्रा का समय काफी हद तक कम होगा।
- पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा – यह रोपवे न केवल स्थानीय लोगों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा।
- पर्यावरण हितैषी परियोजना – यह प्रोजेक्ट वाहनों पर निर्भरता को कम करके प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी सहायक होगा।
यात्रियों को क्या मिलेगी सुविधाएं?
इस आधुनिक रोपवे में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। प्रत्येक गोंडोला (केबिन) को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि यात्री यात्रा के दौरान हिमालय की सुंदर वादियों का आनंद उठा सकें। इसके साथ ही, सुरक्षा मानकों का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।
शिमला के पर्यटन पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
शिमला पहले से ही भारत के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक है। यह रोपवे परियोजना इसे और भी आकर्षक बनाएगी। हिमाचल सरकार का मानना है कि इस परियोजना के बाद शिमला आने वाले पर्यटकों की संख्या में 20-30% तक वृद्धि हो सकती है।
इसके अलावा, रोपवे बनने से शिमला के माल रोड, कुफरी, संजोली और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे स्थानीय होटल, रेस्तरां और अन्य पर्यटन-आधारित व्यवसायों को भी काफी लाभ मिलेगा।
परियोजना का आर्थिक प्रभाव
यह परियोजना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी लेकर आएगी। निर्माण के दौरान और इसके बाद रखरखाव, संचालन और प्रबंधन में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश सरकार को पर्यटन राजस्व के रूप में भी इस परियोजना से बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।
पर्यावरण संरक्षण और हरित पहल
यह परियोजना पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। चूंकि शिमला एक इको-सेंसिटिव ज़ोन में आता है, इसलिए इस रोपवे का निर्माण इस तरह किया जाएगा कि यह क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र पर कम से कम प्रभाव डाले।
सरकार ने आश्वासन दिया है कि इस परियोजना के तहत पेड़ों की कटाई को न्यूनतम रखा जाएगा और जहां कहीं भी आवश्यक होगा, वहां नए पेड़ लगाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
शिमला और आसपास के क्षेत्रों के स्थानीय लोग इस परियोजना को लेकर उत्साहित हैं। कई लोगों का मानना है कि यह रोपवे उनकी रोजमर्रा की यात्रा को आसान बनाएगा, जबकि कुछ स्थानीय व्यापारी इसे अपने व्यवसाय के लिए फायदेमंद मानते हैं।
हालांकि, कुछ पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय संगठनों ने इस परियोजना को लेकर संभावित पारिस्थितिकीय प्रभावों पर चिंता व्यक्त की है। वे सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं कि रोपवे के निर्माण से जंगलों और वन्य जीवों को कोई नुकसान न पहुंचे।
कब तक पूरा होगा यह प्रोजेक्ट?
हिमाचल सरकार के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, इस रोपवे का निर्माण अगले 3-4 वर्षों में पूरा होने की संभावना है।
सरकार और संबंधित एजेंसियां इस प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रही हैं ताकि निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की देरी न हो और यह समय पर पूरा हो सके।
शिमला में बनने वाला यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे, इस हिल स्टेशन की खूबसूरती और पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ₹1,734 करोड़ की लागत से बनने वाली यह परियोजना पर्यटकों के लिए आकर्षण बढ़ाएगी, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन समाधान प्रदान करेगी।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो जल्द ही शिमला में लोग रोपवे के जरिए हसीन वादियों का आनंद उठा सकेंगे और इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकेंगे।