भारत ने रूसी तेल से कितना कमाया? ट्रंप सलाहकार के दावे पर तथ्यात्मक जवाब

भारत ने रूसी तेल से कितना कमाया? ट्रंप सलाहकार के दावे पर तथ्यात्मक जवा
India Didn’t ‘Make A Killing’: क्यों Trump के व्यापार सलाहकार के रूसी तेल दावे ठोस नहीं ठहरते?
नई दिल्ली / 31 अगस्त, 2025 – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump के व्यापार सलाहकार Peter Navarro ने हाल ही में भारत पर तीखा हमला बोला। उनका आरोप है कि भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर और उसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में महंगे दामों पर बेचकर “भारी मुनाफा (make a killing)” कमाया है। उन्होंने भारत को “रूस का तेल धुलाईघर (oil laundromat)” तक कह डाला। उनका दावा है कि इस तरीके से रूस को अपने युद्ध को वित्त पोषित करने में मदद मिली है और भारत ने अमेरिका का रणनीतिक साझेदार होते हुए भी गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया है।भारत ने रूसी तेल से कितना कमाया? ट्रंप सलाहकार के दावे पर तथ्यात्मक जवाब
लेकिन सवाल उठता है कि क्या वाकई भारत ने रूस से तेल खरीद में कोई बड़ा खेल किया है या फिर यह सब राजनीतिक बयानबाज़ी है? आइए तथ्यों पर नज़र डालते हैं।
आंकड़े क्या कहते हैं?
CLSA की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, जिन अनुमानित आंकड़ों में कहा गया था कि भारत को रूसी तेल से हर साल $10 से $25 अरब की बचत हुई है, वे काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए थे। हकीकत में भारत को इस खरीददारी से महज $2.5 अरब (लगभग 20,000 करोड़ रुपये) प्रति वर्ष की बचत हुई है। यह अनुमानित लाभ से लगभग 75–90% तक कम है।
इससे साफ होता है कि भारत के रूसी तेल सौदे से “अत्यधिक मुनाफा” या “make a killing” जैसी बातें तथ्यात्मक नहीं हैं।
घरेलू खपत बनाम निर्यात
Navarro का कहना है कि भारत रूस से तेल आयात करके उसे रिफाइन कर यूरोप और अन्य देशों को निर्यात करता है, जिससे रूस को अप्रत्यक्ष मदद मिलती है। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि भारत द्वारा खरीदा गया अधिकांश तेल घरेलू खपत में इस्तेमाल हो रहा है। केवल सीमित मात्रा ही रिफाइन करके विदेशों को भेजी जाती है।भारत ने रूसी तेल से कितना कमाया? ट्रंप सलाहकार के दावे पर तथ्यात्मक जवाब
भारत ऊर्जा की भारी खपत वाला देश है और अपनी 80% से अधिक तेल ज़रूरतें आयात करता है। ऐसे में सस्ते तेल का उपयोग करना उसकी आर्थिक मजबूरी है, न कि कोई राजनीतिक चाल।
अमेरिका और पश्चिमी देशों का दोहरा मापदंड
यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत पर आरोप लगाने वाले अमेरिका और यूरोपीय देश स्वयं भी रूस से विभिन्न वस्तुएं खरीदते रहे हैं।
- अमेरिका रूसी यूरेनियम, पैलेडियम और उर्वरक का आयात लगातार कर रहा है।
- यूरोप ने भी 2023–24 में रूस से गैस और ऊर्जा उत्पादों के लिए कई अपवाद बनाए।
ऐसे में केवल भारत को निशाना बनाना दोहरे मापदंड (double standards) जैसा लगता है।
भारत का पक्ष
भारत ने हमेशा यह कहा है कि उसकी नीति “राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा” और “आर्थिक स्थिरता” पर आधारित है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत अपनी जनता के हित में सस्ता और भरोसेमंद तेल खरीदने का हकदार है। भारत ने यह भी याद दिलाया कि जब यूरोप ऊर्जा संकट में था, तब भी वह रूस से बड़ी मात्रा में तेल और गैस खरीदता रहा।
इसके अलावा, भारत ने रूस से आयातित तेल पर कोई अंतरराष्ट्रीय नियम नहीं तोड़े हैं। G7 की price cap व्यवस्था से भी भारत ने कानूनी रूप से बाहर रहकर ही खरीद की है।
राजनीतिक उद्देश्य?
विशेषज्ञ मानते हैं कि Navarro के बयान का एक राजनीतिक मकसद है। अमेरिका में 2026 चुनावी माहौल की तैयारी चल रही है और Trump प्रशासन भारत पर “कड़ा रुख” दिखाकर अपने घरेलू समर्थकों को संदेश देना चाहता है। लेकिन व्यावहारिक रूप से अमेरिका और भारत के संबंध इतने गहरे हैं कि व्यापार और सुरक्षा पर सहयोग जारी रहेगा।भारत ने रूसी तेल से कितना कमाया? ट्रंप सलाहकार के दावे पर तथ्यात्मक जवाब
- भारत ने रूसी तेल सौदों से अपेक्षाकृत सीमित लाभ (लगभग $2.5 अरब) कमाया है।
- अधिकांश तेल घरेलू खपत के लिए इस्तेमाल हुआ है, न कि बड़े पैमाने पर निर्यात के लिए।
- अमेरिका और यूरोप भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, इसलिए भारत पर “laundromat” का आरोप न्यायोचित नहीं।
- भारत की नीति आर्थिक मजबूरी और ऊर्जा सुरक्षा पर आधारित रही है, न कि युद्ध वित्त पोषण में योगदान पर।
इसलिए यह कहना उचित है कि India Didn’t ‘Make A Killing’। Navarro के आरोप अधिकतर राजनीतिक बयानबाज़ी हैं, जो वास्तविक आंकड़ों और वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को नज़रअंदाज़ करते हैं |