Houston University ने हिंदू धर्म पर Course को किया Defends, ‘शैक्षणिक स्वतंत्रता’ का दिया हवाला!

Houston University : हिंदू धर्म Course पर विवाद का दिया जवाब, शैक्षणिक स्वतंत्रता का दिया हवाला
ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी (University of Houston) में हिंदू धर्म पर एक कोर्स को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कुछ छात्रों और संगठनों ने आरोप लगाया है कि यह कोर्स हिंदू धर्म की गलत व्याख्या कर रहा है और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है। हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए ‘शैक्षणिक स्वतंत्रता’ (Academic Freedom) का हवाला दिया है और कहा है कि यह पाठ्यक्रम निष्पक्ष तरीके से तैयार किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में पढ़ाए जा रहे ‘Hinduism: An Academic Perspective’ नामक कोर्स को लेकर कुछ संगठनों और छात्रों ने आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि इस कोर्स में हिंदू धर्म को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया है और कई ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
सोशल मीडिया पर भी इस कोर्स को लेकर बहस छिड़ गई है, जहां कई लोग इसे हिंदू धर्म के प्रति गलत धारणाएं फैलाने वाला बता रहे हैं। कुछ संगठनों ने यूनिवर्सिटी से इस कोर्स की समीक्षा करने और जरूरी बदलाव करने की मांग भी की है।

ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी का बचाव
विवाद बढ़ने के बाद ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि यह कोर्स पूरी तरह से ‘शैक्षणिक स्वतंत्रता’ (Academic Freedom) के सिद्धांतों पर आधारित है और किसी भी धर्म के खिलाफ भेदभाव या पक्षपात करने का उद्देश्य नहीं रखता।
यूनिवर्सिटी ने यह भी कहा कि इस पाठ्यक्रम को तैयार करने वाले प्रोफेसर धर्म और इतिहास के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने विभिन्न स्रोतों के आधार पर इस कोर्स की रूपरेखा तैयार की है।
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा,
“शैक्षणिक स्वतंत्रता किसी भी विश्वविद्यालय का मूल सिद्धांत है। हमारे कोर्स इस सिद्धांत पर आधारित हैं और छात्रों को विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने का अवसर देते हैं। यह कोर्स हिंदू धर्म को ऐतिहासिक और अकादमिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करता है।”
छात्रों और संगठनों की प्रतिक्रिया
विरोध कर रहे छात्र और हिंदू संगठनों का कहना है कि इस कोर्स में हिंदू धर्म को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उनके अनुसार, इसमें हिंदू परंपराओं और ग्रंथों की गलत व्याख्या की गई है, जिससे छात्रों के बीच भ्रम फैल सकता है।
कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को पत्र लिखकर मांग की है कि इस कोर्स की सामग्री की समीक्षा की जाए और हिंदू धर्म के विद्वानों से भी इस पर राय ली जाए।
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) जैसे संगठनों ने इस मामले में यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है। उनका कहना है कि अगर किसी भी धर्म पर आधारित कोर्स पढ़ाया जा रहा है, तो उसमें उस धर्म के मूल सिद्धांतों और परंपराओं का सही तरीके से उल्लेख किया जाना चाहिए।
शैक्षणिक स्वतंत्रता बनाम धार्मिक संवेदनशीलता
यह विवाद अमेरिका के शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक स्वतंत्रता बनाम शैक्षणिक स्वतंत्रता की बहस को फिर से उजागर करता है।
शैक्षणिक स्वतंत्रता के समर्थकों का कहना है कि विश्वविद्यालयों को किसी भी विषय पर निष्पक्ष और अकादमिक रूप से चर्चा करने का अधिकार होना चाहिए। दूसरी ओर, धार्मिक संगठनों और कुछ छात्रों का मानना है कि जब धर्म से जुड़ी संवेदनशील बातों पर चर्चा की जाती है, तो उसमें सही तथ्यों को प्रस्तुत किया जाना चाहिए ताकि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
क्या होगा आगे?
फिलहाल ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी ने कोर्स को वापस लेने से इनकार कर दिया है, लेकिन छात्रों और संगठनों के दबाव को देखते हुए यह संभव है कि यूनिवर्सिटी इस कोर्स की समीक्षा करने पर विचार करे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का क्या परिणाम निकलता है। क्या यूनिवर्सिटी इस कोर्स में कोई बदलाव करेगी, या फिर शैक्षणिक स्वतंत्रता की दलील देते हुए इसे जारी रखेगी?
इस विवाद ने यह भी दिखाया है कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में धार्मिक विषयों पर पढ़ाई को लेकर संतुलन बनाना कितना जरूरी है, ताकि शैक्षणिक स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता दोनों का सम्मान किया जा सके।